गुरु चरणों को वंदन = कालिका प्रसाद 

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गुरु  ज्ञानी  है
और  दानी  भी,
गुरु  धर्म   है
और  कर्म  भी,
गुरु  सांस   है
और आस भी,
गुरु चन्दन  है
और वन्दन भी,
गुरु युक्ति   है
और  मुक्ति भी,
गुरु   दृष्टि  है
और सृष्टि भी,
गुरु  सम  है
और नम भी,
गुरु वन्दना  है
और उपासना भी,
गुरु आत्मा  है
और परमात्मा  भी,
गुरु आकाश  है
और  पृथ्वी  भी,
गुरु जप   है
और  तप  भी,
गुरु भगवान  है
और इन्सान भी,
गुरु पालनहार है
और  संहारक  भी,
गुरु  साज   है
और  आवाज  भी,
गुरु प्यारा  है
और न्यारा  भी,
गुरु प्रेम  है
और करुणा भी,
गुरु गीत  है
और संगीत भी,
गुरु लाड़  है
और प्यार भी,
गुरु आदि  है
और अन्त भी,
गुरु को चरणों  वंदन
गुरु को शत शत नमन।
= कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड