त्राहिमाम = पावनी कुमारी
Jun 9, 2021, 23:11 IST
| रोको महा प्रलय प्रलयंकर।
कर तांडव नृत्य शिव-शंकर।
अगर मिटाना तूझे मिटा दो।
दर्प- दगा- छल- आडंबर को।
काम-क्रोध-मद-मोह-लोभ का।
नाथ नाश कर दो विक्षोभ का।
पर मत नष्ट कर जग तमाम।
शिव त्राहिमाम! शिव त्राहिमाम!
रक्षा करो शील सुषमा का।
ममता, करुणा, दया, क्षमा का।
टेक-टेक मय्यत पर मत्था।
हुआ मनुज का हाल निहत्था।
धरती पर जो बचा शेष।
है धरती के हित अति विशेष।
मत करो मृत्यु को बेलगाम।
शिव त्राहिमाम! शिव त्राहिमाम!
इच्छा हो भस्म करने को कर लो।
ध्वस्त - त्रस्त करना हो कर दो।
अवनी के अरिहंतों को।
मठों के अधम महंतों को।
हैं शर्मसार करते खुद शर्म जो।
तथाकथित उन संतो को।
पर रक्षित कर दो धरा-धाम।
शिव त्राहिमाम! शिव त्राहिमाम!
=पावनी कुमारी, धनबाद, झारखंड