महामारी से जंग जीतनी है = शिप्रा सैनी

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महामारी से जंग जीतनी है = शिप्रा सैनी

भय का है बोल-बाला,
और मानवता हारी है ।
जान गई बीमारों की,
और लाश पड़ी बेचारी है। 

नहीं है कोई उसका अपना,
जो अंतिम धर्म निभाने आया। 
सबके मन में महामारी का,
इतना ज्यादा डर है समाया । 

पर जब जानें जाती हैं,
तो बस यही लगता है ।
अपने बस में कुछ भी नहीं,
ईश्वर से जग चलता है। 

वह आज गया,
कल हम भी जाएंगे ।
अपनों को यूं छोड़ दिए तो,
जीवन भर पछताएंगे। 

स्वार्थ कहें या खुद की चिंता,
क्यों है इतनी डर की बात ।
अपनों के लिए तो करना है,
कैसे भी हो मुश्किल हालात । 

यह तो कहर करोना का,
कुछ दिन में खत्म हो जाएगा।
पर मानवता का जिसने हनन किया,
जिंदा होकर भी मृत कहलायेगा। 

रखते हुए पूरी सावधानी,
अपनों की सुरक्षा करनी है।
हम सबको मिलजुल कर ही,
महामारी से जंग जीतनी है। 
= शिप्रा सैनी (मौर्या),जमशेदपुर