शिक्षक - जया भराड़े बड़ोदकर

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भूमिका शिक्षक की

आज बड़ी गंभीर,

समय ने सिद्ध किया

उसका भी है वजीर,

कोरोना काल शिक्षा

के लिए बड़ा दर्दनाक हुआ,

बच्चे मानसिक और

शरीरिक विकास

से वंचित हो गए,

मोबाइल फोन ने

अपनी बनाई जगह खास,

शिक्षा मे जो थे बकवास,

अनिवार्य बन गए आज,

बच्चे बंद हो गए जेल में

स्कूल की क्या औकात,

विद्या खेलकूद सभी

फोन मे ही उलझ गए,

पर्याय नही कुछ भी अब

शिक्षक शब्द कोश बन गए,

वर्तमान शिक्षा नीति सारी

खोखले ही रह गए,

समय के लिए आज ये

समस्या बड़ी बन गए,

माता पिता ही शिक्षा की

पहली सीढ़ी बन गए,

विद्या थी जो ,

धन के लिए

अब असली चेहरा दिखा गई,

बिना किसी मेहनत के

सभी का भविष्य सुंदर बना गई,

बच्चों के असली जीवन

की शिक्षा घर में ही है,

सत्य एक बता गई,

ज्ञान की असली सूरत

स्कूल की फीस मे समा गई,

व्यवहारिक ज्ञान ही आज की

पहली जरूरत बन गई,

- जया भराड़े बडोदकर, नवी मुंबई (महाराष्ट्र)