गीत - जसवीर सिंह हलधर
Jul 13, 2021, 23:11 IST
| मौत औ जिंदगी में सुलह हो गयी ।
नींद सपने सजाकर कलह बो गयी ।।
साथ दोनों रहेंगे ये वादा किया ।
काम पूरा नहीं सिर्फ आधा किया ।
सिलसिला नौकरी का शुरू हो गया,
साधना साधनों में कहीं खो गयी ।
मौत औ जिन्दगी में सुलह हो गयी ।।1
उम्र स्वागत में उनके खड़ी हो गयी ।
मुझको ऐसा लगा वो बड़ी हो गयी ।
देह गलती रही सांस चलती रही ,
देख सम्मुख झमेले झुकी रो गयी ।
मौत औ जिंदगी में सुलह हो गयी ।।2
मैं कहाँ हूँ गलत यह मुझे तू बता ।
सामने वार कर यूँ न मुझको सता ।
हौसलों का शजर मान मेरा सफ़र ,
छोड़ दावे पुराने कहाँ सो गयी ।
मौत औ जिंदगी में सुलह हो गयी ।।3
गम मुझे जो मिला मैंने माना सिला ।
साथ अपनों परायों से मुझको गिला ।
दर्द पीता रहा घाव सीता रहा ,
पाप "हलधर"किये सब कलम धो गयी ।
मौत औ जिंदगी में सुलह हो गयी ।।4
=जसवीर सिंह हलधर, देहरादून