कुछ अशआर -  डॉ. अशोक ''गुलशन'

 | 
pic

<>

है कितना भार गम का बस इसी से जान लो यारों,

हमारी उम्र कम है और सब बूढ़ा समझते हैं ।

<>

मुहब्बत में लगे हम पर न जाने किस क़दर पहरे,

निकलना हो गया मुश्किल हमारा भी तुम्हारा भी।

<>

तुमको फुर्सत कभी नहीं है याद मुझे भी करने की,

और मुझे दिन--रात तुम्हारे सपने आते हैं।

<>

मधुर-मिलन की आस लगाए जब-जब मुझको नींद न आई,

रात- रात भर पानी पीकर मैंने तन की प्यास बुझाई।

<>

तुम तो कहते हो तुम्हें मुझसे मुहब्बत है नहीं,

फिर तुम्हारे घर में मेरी क्यों टंगी तस्वीर है.।

<>

कहाँ हम पार हो पाते भँवर में डूब ही जाते,

तुम्हारे हाथ में यदि प्यार की कश्ती नहीं होती।

<>

नींद नहीं आती आँखों में दिल भी हर पल रोता है ,

तुम्हीं बताओ क्या ऐसे ही प्यार सभी से होता है।

<>

कोई अच्छा मिला होता तो ये कुछ बात अच्छी थी ,

तुम्हें सब मिल गए पागल तुम्हारी ही तरह गुलशन।

<>

हमारा दुःख है जितना तुम मुझे उतनी ख़ुशी दे दो,

बहुत खुश हो के जीना भी मुझे अच्छा नहीं लगता।

<>

एक मौत का क़र्ज़ हमारे ऊपर अब भी बाकी है,

एक जिंदगी से यह शायद मुझसे अदा नहीं होगी।

 - डॉ. अशोक ''गुलशन' 'उत्तरी कानूनगोपुरा, बहराइच (उ०प्र०)