श्री राम यज्ञ - (40वीं समिधा) - जसवीर सिंह हलधर

 | 
pic

मात शारदा का अभिनंदन ।

राम कथा मांथे का चंदन ।।

संकट में आये रघुनंदन ।

मूर्छित पड़े धरा पर लक्ष्मन ।।1

इंतजार में पल पल भारी ।

रोते आधी रात गुजारी ।।

सुबक सुबक रघुराई रोवें ।

सोच सोच कर आपा खोवें ।।2

शोक व्याप्त सम्पूर्ण शिविर में ।

सूरज कैसे घिरा तिमिर में ।।

नैन प्रतीक्षा रत हैं क्षण क्षण ।

सम्मुख मूर्क्षित दिखते लक्ष्मण ।।3

उधर भरत रो रो पछताए ।

राम भक्त पर तीर चलाए ।।

वैद्य बुला उपचार कराया ।

हनुमत रक्त श्राव रुकवाया ।।4

हनुमत उड़े साथ ले भूधर।

हुआ भोर को आतुर दिनकर ।।

संकट में बल बुद्धि विनायक ।

बाण भरत के बने सहायक ।।5

रखे हथेली हनुमत भूधर ।

पहुँच गये लंका के अंदर ।।

पार हो गयी राह समंदर ।

बजरंगी सा कौन धुरंदर ।।6

बूटी खोज वैद्य पहचानी ।

कूट पीस बर्तन में छानी ।।

लखन लाल को तुरत चटाई ।

सुप्त चेतना वापिस आई ।।7

स्वस्थ हुआ है मेरा भाई ।

हर्षित नाच रहे रघुराई ।।

बजरंगी को गले लगाया ।

भरत तुल्य भ्राता बतलाया ।।8

नव संचार हुआ सेना में ।

जय जय कार हुआ सेना में ।।

लक्ष्मण जीर्णोद्धार हुआ है ।

पुनः शक्ति संचार हुआ है ।।9

समाचार रावण ने पाया ।

मेघनाद को तुरत बुलाया ।।

कुल देवी का यज्ञ कराओ ।

तदोपरांत युद्ध को जाओ ।।10

जसवीर सिंह हलधर देहरादून