श्री राम यज्ञ - (25वीं समिधा) - जसवीर सिंह हलधर

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रक्षा करना मात भवानी ।
चली युद्ध की ओर कहानी ।।
अंगद लौट शिविर में आये ।
सारा घटनाक्रम बतलाये ।।1

सभा बुलाई नारायण ने ।
बात न मानी है रावण ने ।।
वीरों का उत्साह बढ़ाया ।
बोले समय युद्ध का आया ।।2

रणचंडी की जय जय कहकर ।
कौदण्ड हाथ अपने लेकर ।।
हरि ने भीषण हुंकार किया ।
खींची पिनाक टंकार किया ।।3

सब वीरों को संदेश दिया ।
कैसे लड़ना उपदेश दिया ।।
सेना अब लगा रही नारे ।
हैं राम नाम के जयकारे ।।4

निर्णय लिए जटिल नारायण ।
राजा घोषित किये विभीषण ।।
वानर सेना इससे सहमत ।
अचरज में लंका का जनमत ।।5

सेना ने अब घेरा डाला ।
गिर सुबेल पे डेरा डाला ।।
लाखों रीछ करोड़ों वानर ।
लंका कांप रही है थर थर ।।6

घेरे लंका के सब द्वारे ।
तोड़ रही सेना अब द्वारे ।।
मार अकम्पन किया किनारे ।
दुर्मुख घायल गिनता तारे ।।7

पवनपुत्र की गदा निराली ।
वानर सेना है बलशाली ।।
शोणित की बह निकली नाली ।
नाच रही है खप्पर वाली ।।8

पूत काल के गाल समाये ।
मंदोदरि पति को समझाये ।।
खल ने बात एक ना मानी ।
कुनबे की मिट रही निशानी ।।9

हनुमत ज्यों ज्यों गदा चलावें ।
धरती में कंम्पन उठ जावें ।।
लक्ष्मण जब प्रत्यंचा खींचे।
सागर अपनी आँखें मींचे ।।10
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून