श्री राम यज्ञ- (24वीं समिधा) - जसवीर सिंह हलधर

 | 
pic

कविताओं की पोषक मैया ।
छंदों की उदघोषक मैया ।।
अहंकार की शोषक मैया ।
कवियों की है तोषक मैया ।।1

आगे बढ़ती राम कहानी ।
अंगद जी ने व्यथा बखानी ।।
वापिस आये सैन्य शिविर में ।
छोड़ा रावण घोर तिमिर में ।।2

अंगद राघव से यह बोले ।
मैंने उसके योद्धा तोले ।।
उसका अहंकार जाली है ।
लंका वीरों से खाली है ।।3

सब सही वृतांत सुना डाला ।
उसकी आँखों में है जाला ।।
वो अहंकार में डूबा है ।
अपने जीवन से ऊबा है ।।4

मैत्री का मोल न पहचाना ।
वो अभिमानी वो दीवाना ।।
मुझको भी चाहा धमकाना ।
प्रस्ताव संधि का ना माना ।।5

मैंने भी बता दिया उसको ।
रुख पूरा जता दिया उसको ।।
यदि बात समझ में ना आई।
तो रोवेंगी द्राविड़ माई ।।6

वानर सेना जब आएगी ।
सारी लंका जल जाएगी ।।
शोणित की नदी बही होगी ।
लाशों से पटी मही होगी ।।7

तू  यह संदेश नहीं माना ।
हरि का उपदेश नहीं माना ।।
धरती से चाहे मिट जाना ।
हरि का आदेश नहीं माना ।।8

पूरा घटना क्रम बतलाया ।
लंका का दमखम बतलाया ।।
घटना विश्लेषण बतलाया ।
यूँ तथ्य विवेचन बतलाया ।।9

अंतिम परयास विफल पाया ।
निष्कर्ष राम को बतलाया ।।
लड़ने की बेला आयी अब ।
नारायण सभा बुलायी अब ।।10
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून