साहित्य रेखा पटल को कुसुम शर्मा ने मधुरिम बन्धन में बांधे रखा - विनोद शर्मा
साहित्य रेखा पटल संस्थान के रूप मधुरिम भावनाओं के बन्धन सूत्र में बंधा एक संयुक्त परिवार है , जिसका उद्देश्य समाज की तुच्छ बुराइयों को दूर करके स्वच्छ भाव युक्त प्रेममय संस्कारित समाज की स्थापना करना है ।
हमारा यह पटल मातृ शक्तियों का मंच है जिस पर जगत के मिथ्या आवरण को हटा सच्चाई का उद्घाटन किया जाता है । इस श्रृंखला में सबको मातृ छाया प्रदायिनी आ० कुसुम शर्मा 'कमल ' इस संस्थान की गरिमा युक्त व्यक्तित्व की धनी " ममत्व गागरी " हैं जो सदैव स्नेहपूर्ण व्यवहार झलकाती हुई इस परिवार के समस्त सदस्यों पर अपने शुभ आशीषों की बौछार करती रहती हैं , जिससे यह मंच दिन प्रति दिन उन्नत दिशा की ओर अग्रसरित है ।
उनके उत्साहित भाव के सहारे मैं साहित्य के किसी भी कार्य को सही प्रारूप देता आ रहा हूँ और स्वर्गीया रेखा शर्मा जी की मुख्य अभिलाषा ' साहित्य विस्तार ' को गति प्रदान करता आ रहा हूँ ।
आ० कुसुम दीदी मेरे लिये माँ स्वरूपा हैं, जिनकी छत्रछाया में मैं स्वयं को अति सुरक्षित और साहित्य रेखा पटल को सुनियोजित महसूस करता हूँ । साहित्य रेखा परिवार आ० कुसुम का ह्रदय से सम्मान करता है और उनके निर्देशन में अपनी साहित्यिक योग्यता को निरन्तर प्रगति के आयामों की ओर बढ़ा रहा है ।
आ० कुसुम शर्मा कमल साहित्य के सभी बहन भाइयों को अपना निजी परिवार मानतीं हैं और साहित्य को अपने जीवन का एक अभिन्न अंग मानकर सदा साहित्य साधना में अपना समय व्यतीत करतीं हैं । देश के कर्णधार बच्चों का भविष्य निर्माण उनका सुन्दर सपना है और इस सर्वोत्तम लक्ष्य की पूर्ति में वे एक सुदृढ़ शिक्षिका की भूमिका निभा रही हैं तथा इसी कार्य हेतु वे आजीवन दृढ़ संकल्पित हैं ।
आ० कुसुम शर्मा कमल के अनुपम चरित्र की छवि मेरे ह्रदय में अंकित है और मैं हमेशा अपनी बड़ी दीदी का मन से सम्मान करता हूँ । अतः पूज्य दीदी मैं दीर्घकाल तक आपके आशीर्वाद के लिये सदैव ईश प्रार्थी हूँ। - विनोद शर्मा विश, संस्थापक, साहित्य रेखा संस्थान, दिल्ली