रिश्ते तार-तार = शिवम् अन्तापुरिया
Jul 5, 2021, 22:37 IST
| बड़ी उम्मीद को लेकर के घर से निकली थी बेटी,
बड़ी ही लाज़वन्ती सी सजी दिखती थी वो बेटी।
जरा भी खौंफ़ न था उसको इस दुनियाँ के मानव से,
मगर मानवता को खोकर के कुछ दानव गए थे बन,
सड़क पर उन दरिंदों की नज़र में शिकार हुई बेटी।
बचाने लाज को अपनी बहुत थे प्रयत्न कर डाले,
मगर वो थे हवस भूखे, सारे रिश्ते तार तार कर डाले।
~ शिवम अन्तापुरिया, कानपुर, उत्तर प्रदेश