रिश्ते = किरण मिश्रा
Jun 27, 2021, 23:30 IST
| नज़रो से उतर गये रिश्ते,
जाने वो किधर गये रिश्ते ,
बेचैनियों के बीज बोके,
आँसुओं में बिखर गये रिश्ते,
गुलों से खिलते होंठों पर
फूलों से झर गये रिश्ते,
ज़िन्दगी के हसीन पांवों में,
काँटों से गड़ गये रिश्ते!
ज़मीर का भी सौदा कर,
व्यापार कर गये रिश्ते!
देखने में तो रकीब लगते थे,
अहसास में मर गये रिश्ते !!
चन्द दिनों में ही ऊब जाते हैं
मेहमान से बन गये रिश्ते!
बदलते रहते ठौर दिनोंदिन
यायावर से हो गये रिश्ते !
रिश्तों की कालाबाजारी में
किरण हद से गुजर गये रिश्ते !!
= किरण मिश्रा "स्वयंसिद्धा" नोएडा