शाश्वत स्वतंत्रता की देवी - रश्मि शाक्य

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सावित्री मां हैं स्वयं सुक्ति ।

संप्रति में पाया है हमने

उन्नति - प्रगति की महा - युक्ति ।।

उनके अदम्य - संघर्षों का

हमको आभारी होना है ।

उनके जीवन आदर्शों का

उत्तराधिकारी होना है ।।

है यही कामना भारत की

नारी का पंथ प्रभासित हो ।

नित - नित प्रशस्त हो यश - मय हो

अभिलाषित और सुवासित हो ।।

अन्याय विरुद्ध खड़ा होने,

का तेजस्वी उत्थान रहे ।

बढ़ चलें अग्रगामी हो पग,

सत्पथ का मन में भान रहे ।।

मां सावित्री का जन्म - दिवस

बन जाए अपना महापर्व ।

आने वाली पीढ़ी को हम

सौंपें प्रकर्ष से भरा गर्व ।।

अतिचार - विरोधी, निर्भय हो ,

जय हो !

साहस की अब जय हो ।।

मेधावी गरिमामय नय हो,

जय हो !

नव - तथ्यों की जय हो !

अब नई भूमिकाएं तय हों,

जय हो !

नव - लक्ष्यों की जय  हो !

कर्तव्य बोध निःसंशय हो,

जय हो !

विश्वास की अब जय हो !

अब अंधकार का नित क्षय हो,

 जय हो!

 प्रभास की अब जय हो !

- रश्मि शाक्य