शाश्वत स्वतंत्रता की देवी - रश्मि शाक्य
सावित्री मां हैं स्वयं सुक्ति ।
संप्रति में पाया है हमने
उन्नति - प्रगति की महा - युक्ति ।।
उनके अदम्य - संघर्षों का
हमको आभारी होना है ।
उनके जीवन आदर्शों का
उत्तराधिकारी होना है ।।
है यही कामना भारत की
नारी का पंथ प्रभासित हो ।
नित - नित प्रशस्त हो यश - मय हो
अभिलाषित और सुवासित हो ।।
अन्याय विरुद्ध खड़ा होने,
का तेजस्वी उत्थान रहे ।
बढ़ चलें अग्रगामी हो पग,
सत्पथ का मन में भान रहे ।।
मां सावित्री का जन्म - दिवस
बन जाए अपना महापर्व ।
आने वाली पीढ़ी को हम
सौंपें प्रकर्ष से भरा गर्व ।।
अतिचार - विरोधी, निर्भय हो ,
जय हो !
साहस की अब जय हो ।।
मेधावी गरिमामय नय हो,
जय हो !
नव - तथ्यों की जय हो !
अब नई भूमिकाएं तय हों,
जय हो !
नव - लक्ष्यों की जय हो !
कर्तव्य बोध निःसंशय हो,
जय हो !
विश्वास की अब जय हो !
अब अंधकार का नित क्षय हो,
जय हो!
प्रभास की अब जय हो !
- रश्मि शाक्य✍