प्रवीण प्रभाती - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

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मुश्किल  यदि सम्मुख आ जाये, तो क्या हम डर जायेंगे?

बाधाएँ हो खड़ी सामने, तो क्या हम घबरायेंगे?

संघर्षों में अडिग रहें तो, जीत हमारी निश्चित है,

रची गयी विजयी गाथाएँ, तो क्या नहीं सुनायेंगे?

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लोग भले ले लें बदला पर, हम न कभी ले पाएंगे।

दिल के अंदर द्वेष नहीं है, यह जग को दिखलाएंगे।

गैर समझ कर भले बिखेरें, कितने काँटे राहों में,

शूल भले हमको मिलते हों, फूल सदा दे जाएंगे।

- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा/उन्नाव (उ० प्र०)