पथिक = ममता जोशी ​​​​​​​

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पथ भूल न जाना,

पथिक कहीं ।

पथ पर चलना ,

मुश्किल ही सही ।

मंजिल तुमे मिलेगी कहीँ  ।।

पथ पर कांटे तो होगे ही,

दुरवादल सरित सर होगे ।

सुन्दर गिरि वन भी होगे ,

सुन्दरता की मृगतृष्णा में ।

पथ भूल न जाना पथिक कहीँ ।।

अपने भी पराये हो जायेगे ,

आंखो के आगे आयेंगे ।

पग-पग पर अकेला चलना है,

तब अपने एकाकीपन में ।

पथ भूल न जाना पथिक कहीँ ।।

पथ पे चलते-चलते थक जायेगे ,

मदद के  लिए कोई आयेंगे ।

अपने पन के चक्कर में,

पथ भूल न जाना पथिक कहीँ ।।

= ममता जोशी, प्रताप नगर, टिहरी गढ़वाल