हमारे बनों = शिवम अन्तापुरिया 

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दिल से दिल जब मिले, 
दिल की कली खिल गयी,
प्यार में टूटकर दिल की,
नमीं मिट गयी। 

तुम अधूरे से ख्वाबों 
में पलते रहे, 
हम यहाँ पर टूटते रहे, 
तुम वहाँ पर टूटते रहे। 

ये अधर प्रेम में तुम, 
पंखुड़ी से खिले, 
हम न कलियाँ बने, 
और न खिल सके। 


तुम मेरे प्रेम के, 
गीत प्रणय बनों, 
हम तुम्हारे बनें, 
तुम हमारे बनों। 
~ शिवम अन्तापुरिया 
  कानपुर, उत्तर प्रदेश