सृष्टि की उत्पत्ति =  ज्योत्सना रतूड़ी

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सृष्टि की उत्पत्ति हुई प्रभु के विधान से,

श्रद्धा मनु से उद्भव हुआ जगत कालांतर में,

संसार के निर्माणकर्ता मेरे प्रभु स्वयं ही,

ब्रह्मांड का प्रादुर्भाव प्रभु तुम से ही है।

वर्चस्व जग में रहे उस शीर्ष भगवान का,

कर कमलों में शीश झुका रहे तेरे इस इंसान का,

ज्यूं उदय होते भास्कर नीले आकाश मे,

नदी आकाश पर्वत समाए तेरे इस जहान में।

= ज्योत्सना रतूड़ी ज्योति, उत्तरकाशी ,उत्तराखंड