बूढ़ी अम्मा फल बेचती = पूनम शर्मा स्नेहिल
Jun 9, 2021, 23:13 IST
| उम्र पर मेरी मत जाओ,
तुम्हे आज ये बताती हूँ।
झुकती नहीं हूँ किसी के आगे,
सम्मान से जीवन बिताती हूँ।
मेहनतकश हूँ कर मेहनत ,
जीवन अपना चलाती हूँ।
जो भी मिलता श्रम से मुझे,
खा वो तृप्त हो जाती हूँ।
ईश्वर ने दी इतनी हिम्मत,
उसका ही शुक्र मनाती हूँ।
मुश्किलो और बाधाओं से मैं,
तनिक नहीं घबराती हूँ।
माना मैं कुछ वृद्ध हो चली,
नहीं किसी से पाली जाती हूँ।
दूर कर देते वही अपने जिन्हें ,
लगा सीने से दूध पिलाती हूँ।
रहे सदा खुश फिर भी वो ,
यह आशीष देती जाती हूँ।
दिया जीवन ईश्वर ने उसी के ,
भरोसे जिंदगी जिए जाती हूँ।
अपनी खुद्दारी पर अभिमान ,
कर मेहनत मैं जी पाती हूँ।
देती सदा सभी को हूँ पर,
लेने किसी से न जाती हूँ।
जो मरकर जीवन देती है,
वही तो मां कहलाती हूँ।
© पूनम शर्मा स्नेहिल, गोरखपुर , उत्तर प्रदेश