हे चक्रधारी - स्वर्णलता

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जयति जयति वैकुंठ निवासी।

लक्ष्मी पति हे, घट घट वासी।

हे कमला पति हे चक्रधारी।

करहु कृपा तुम हे  बनवारी।।

सुख करता तुम हे दु:ख हरता।

सकल सृष्टि के पालन करता।।

सकल सुमंगल दायक स्वामी।

टेर सुनो हे अन्तर्यामी।।

- स्वर्णलता सोन, दिल्ली