मुक्तक - झरना माथुर

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जब कोई याद आता है,

आखों में पानी लाता है,

किससे कहे मन की बात,

दिल मे तूफ़ान समाता है।

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जब टीस उभरती है,

तब कलम उठती है,

दर्दे स्याही भरकर,

पन्नो पे बिखरती है।

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तू प्यार भरा एक एहसास है,

जो हर पल मेरे आस पास है,

चाहे कोई माने या न माने,

तू मेरे जीवन मे कुछ खास है।

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आप लोगों के बीच में हिंदुस्तान का गरीब इन्सान हूँ।

दीन हूँ मलिन हूँ असहाय हूँ आपकी हीनता का शिकार हूँ

कोठी नही है झोपड़ी ही बनी रहे यही बस अरमान है

न पड़े बुरी नज़र कर सकूँ कन्यादान जो मेरी शान है।

देश की सेवा करुँ यही मेरा गौरव और अभिमान है

आप लोगों के बीच में हिंदुस्तान का गरीब इन्सान हूँ।

- झरना माथुर, देहरादून , उत्तराखंड