माँ = कालिका प्रसाद

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माँ 
प्रार्थना है गीत है
कहानी है कविता है
हमारे जीवन की,
जिसे हम
गुनगुनाते है
सबको सुनाते है,
माँ
घर बसाती है
परिवार की
केन्द्र है
जिसकी परिधि में
परिवार
फलता फूलता है,
माँ
रात दिन
एक ही सपना
देखती है
हमारे बड़े होने का
घर बसाने का
और अपने को
दादी बनने का।
= कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड