मां गंगा = पूनम शर्मा स्नेहिल
Jun 26, 2021, 23:21 IST
| मां गंगा का रूप है ,
शीतल और निर्मल।
जो जाता उसके समीप ,
सुधरे उसका कल ।
विश्व धरा पर पावन सबसे,
होता उसका जल।
जटा में शिव के आकर ,
बस गई माता ये चंचल।
दर्शन कर लो इस मैय्या के,
आज नहीं तो कल।
बहती आई देवलोक से ,
देखो ये हर पल।
हर-हर गंगे कहकर तुम,
मन "स्नेहिल" कर जाओ।
पा स्नेहिल सा आशीष ,
तुम जीवन सुखद बनाओ।
कहती तुमसे बातें ये,
धर पूनम हृदय में धीर।
चरणों में जा गंगा के ,
मिट जाए सब पीर।
और करूं तुमसे क्या मैं,
मां गंगा का गुण गान।
तोड़ दिया अच्छे अच्छों का ,
इसने तो अभिमान।
धर ह्रदय में प्रीत तुम ,
मां के दर पर जाओ ।
देगी मां आशीष तब ,
मनचाहा फल पाओ।।
®️पूनम शर्मा स्नेहिल, गोरखपुर , उत्तर प्रदेश