मां गंगा = पूनम शर्मा स्नेहिल

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मां गंगा का रूप है ,

शीतल और निर्मल।

जो जाता उसके समीप ,

सुधरे उसका कल

विश्व धरा पर पावन सबसे,

होता उसका जल।

जटा में शिव के आकर ,

बस गई माता ये चंचल।

दर्शन कर लो इस मैय्या के,

आज नहीं तो कल।

बहती आई देवलोक से ,

देखो ये हर पल।

हर-हर गंगे कहकर तुम,

मन "स्नेहिल" कर जाओ।

पा स्नेहिल सा आशीष ,

तुम जीवन सुखद बनाओ।

कहती तुमसे बातें ये,

धर पूनम हृदय में धीर।

चरणों में जा गंगा के ,

मिट जाए सब पीर।

और करूं तुमसे क्या मैं,

मां गंगा का गुण गान।

तोड़ दिया अच्छे अच्छों का ,

इसने तो अभिमान।

धर ह्रदय  में प्रीत तुम ,

मां के दर पर जाओ

देगी मां आशीष तब ,

मनचाहा फल पाओ।।

®️पूनम शर्मा स्नेहिल, गोरखपुर , उत्तर प्रदेश