यादें = प्रदीप सहारे 

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स्मृति पटल पर,

अंकित यादें

ले जाती,

भूतकाल की ओर।

पकड़कर भूतकाल की,

यादों का छोर,

मन होता हैं ताजा तौर

बात बात में,बात चलती,

चलता बातो का दौर

एक बताएं, दुजा सुने

दुजा बताएं, एक सुने

पता चले कब होती,

सुबह की भोर

स्मृति पटल पर,

अंकित यादे,

कर देती जीवन ताजा तौर।

चलता रहेंगा ,

यह करोना का खेल

मिलाएं रखना अपनो से मेल

अपनों से होगी,

जीवन की यादें ताजा  !!

जीवन जीने का आएगा,

और मजा...

और मजा...

@प्रदीप सहारे- नागपुर (महारष्ट्र)