मंगल कारी विवाह - अनिरुद्ध कुमार
Dec 26, 2021, 21:37 IST
| सामाजिक परिवेश हमारा, रीति रिवाज निर्वाह।
दो तनमन का मंगल बंधन, जाना जाता विवाह।।
नर नारी का जीवन दर्शन, भरे पूरे हर चाह।
फले फुले यौवन अमराई, निरंतर प्राण प्रवाह।।
पार लगाये जीवन सरिता, पकड़ साथी का बांह।
दामपत्य जीवन सुखदायी, शुभकारी है विवाह।।
सात वचन में कसमें वादे, प्यार भरोसा अथाह।
मिलकर खेये जीवन नैया, हरपल नया उत्साह।।
हालातों से लड़े साथ मिल, करना सदा परवाह।
नवांकुरों से आंगन झूमे, पा परिवार की छांह।।
मंगल कारी ये दुख हारी, रुचिकर लगे यह राह।
हर यौवन की मनोकामना, जल्दी होता विवाह।।
विधाता ने जोड़ी बनाई, लगते हैं शहनशाह।
राजा रानी रहे सलामत, मंगल कारी विवाह।।
अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड्