महिला काव्य मंच पश्चिमी दिल्ली की मासिक काव्य गोष्ठी संपन्न
vivratidarpan.com, Delhi - महिला काव्य मंच पश्चिमी दिल्ली इकाई की मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पश्चिमी दिल्ली इकाई की अध्यक्षा आदरणीया पुष्पिंदरा चगती भंडारी के द्वारा की गयी। कार्यक्रम का सफल उत्कृष्ट संचालन इकाई महासचिव विभा राज 'वैभवी' के द्वारा किया गया।
गोष्ठी का शुभारंभ पुष्पिंदरा चगती भंडारी के द्वारा अतिथि सत्कार से किया गया। मंच इकाई उपाध्यक्ष कुसुम लता 'कुसुम' के द्वारा मधुर सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का श्रीगणेश किया गया।
गोष्ठी में आमंत्रित कवयित्रियों ने शानदार काव्य पाठ करके मंच को श्रेष्ठता प्रदान की।एक से बढ़कर एक काव्य रंग मंच पर बिखेरे गये। काव्य पाठ करने वाली कवयित्रियों की रचनाओं की पंक्तियां हैं-
वो अपनी तस्वीर खिंचवाते वक्त कैमरे को देख
मुस्कुरा रहा था , ये मैं जानती हूँ। - पुष्पिंदरा चगती भंडारी
फिज़ा को सजाएँ नये साल में सब।
कसम ये उठाएँ नये साल में सब। - कुसुम लता 'कुसुम'
नववर्ष की मधुर बेला में आशाओं के दीप जलाएं,
आओ मिलकर प्रेम करें और रोज दिवाली ईद मनाएं । - विभा राज 'वैभवी'
ओ अस्ताचल गामी सूरज तुम इतने क्लान्त,श्रांत व मलिन क्यूँ हो। - कुसुम आचार्य
तेरे चेहरे की हँसी फिर लौटाना चाहती हूँ , माना, अब भी हूँ कमजोर हूं पर, तेरे लिए ढाल बनना चाहती हूँ - कमलेश मुद्गल
घबराऊंगी मैं, सहम जाऊंगी मैं, मगर जिन्दगी मुस्कराऊंगी मैं. - मीनाक्षी भसीन
आशियाना अपनों का यूँ ही बनाये रखना,
चाहे लाख मुश्किलें हों इसको सजाये रखना|
आशियाना अपनों का...... - श्यामा भारद्वाज
हां मैं भूलने लगी हूं आजकल
पिछली बातें याद हैं पर सिनेमाघर में लगी फिल्म की तरह - प्राची कौशल
आओ सत्कार करें नूतन नव वर्ष का, गजानन से मनुहार करें - मधु वशिष्ठ
मेरे गीत की पंक्तियां , साथ कली को मेरो घागरो री ,- भावना भारद्वाज
आपके जीवन में सदा भरा रहे उल्लास।
नववर्ष की नव किरण ऐसा करें प्रकाश।। - अर्चना वर्मा
तुम्हें देखकर मेरी मुस्कुराहट , यूँ ही खिल जाती है,
और मैं तुम्हारे अंदर तुम्हें ही तलाशने लगती हूँ - विनय पंवार
मेरी निगाहें ,अब भी ढूंढ रही थी, उनको...
तभी मैंने स्टेशन पर ,उन्हें देखा ... -- डॉ भूपिंदर कौर
गुनगुनी धूप में बैठकर ,इक ग़ज़ल गुनगुनाती रही,
तुम न आये कभी लौटकर ,फिर भी मैं तो बुलाती रही। - इंदु मिश्रा 'किरण'
ऐ देखो जी ऐसे मुँह ना फुलाओ,
रह रह कर मुझे ऐसे ना चिढ़ाओ, - आरती झा
अकड़ को छोड़ कर अपनी ज़रा झुकना भी कुछ सीखो,
चले जाते हो क्यूँ धुन में, ज़रा रुकना भी कुछ सीखो। - सरिता गुप्ता
प्रेम,प्रीति प्यार हमारा पुरानी रीति।- जय श्री रॉय
परंपरागत घर की रसोई, स्वास्थ्य का आधार।
स्नेहसिक्त पकाएं खाएं उत्तम शाकाहार। - सुमन लता कटारिया
तुमने जाते -जाते उम्रदराज किया है मुझे,
क्या कहूं मै तो आज भी अपने आँगन के कोने मे,
फूलों वाली फ्रॉक पहने गिट्टी खेलना चाहती हूं. - रेनु सिंह
माता पिता का आदर और गुरु का सम्मान है प्यार,
जो एक दूजे से बांध के रखे वो मजबूत आधार है प्यार, - सुनीता पुनिया
अंत में अध्यक्षीय उद्बोधन और कार्यक्रम का विधिवत समापन किया गया।