सुनों = पूनम शर्मा
Jun 25, 2021, 23:45 IST
| ये देखो
जगह तो थी
तुम्हारी हथेली में,
गोद सकते थे खुदा
एक और लकीर मेरे नाम की,
मगर !
जाने कौन माँग रहा था,
शिद्दत से दुआओं में तुम्हें !!
सुनों !!
जब जाओ इस जहाँ से उस जहाँ में !!
उम्र का वट वृक्ष होकर जाना तुम
तमाम दुआओं का फल देकर उसे।।
इस बार तेरा होना ही काफी है,
आये हो अमानत रूप में किसी की,
हक़ीकत बनकर आये हो जिनकी,
सँवार दो जिंदगी ,महका दो जीवन इतना,
वो कहे कि अब कुछ नहीं चाहिए खुदा से ।।
फिर !
बाद मुद्दतों के जब आओगे लौटकर,
सजदे में झुका देना मस्तक अपना,
और मैं वर लुंगी तुम्हें पहना के पुष्प माला...
फिर यहीं कहीं मिलेगी कोई लकीर
मेरे नाम की हथेली पे तुम्हारी
दिखाउंगी तुम्हें मेरे हाथ में भी
बनी होगी यही लकीर तेरे नाम की .....
इस बार बनूँगी तकदीर मैं तेरी
और सजाऊंगी तुम्हें सिंदूर सा माँग में ।।
कभी कभी तकदीर कुछ यूँ भी
बदल जाया करती हैं दुआओं से।।।।
= पूनम शर्मा, पानीपत, हरियाणा