सबक - जया भराडे बडोदकर

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समय-समय पर

मिलता रहता है,

कोई भी कभी

अच्छा या बुरा करता है।

तो वह कुछ न कुछ,

नसीहत दे जाता है,

ये जीवन मे हमे,

जीना सिखाता है।

हिम्मत भी बढ़ाता है,

बिना सबक के,

जीवन असफल ही होता है,

ये भोजन मे नमक की तरह,

अनिवार्य होता है।

हर एक के लिए ये

कभी-कभी,

असहनीय होता है,

मगर फिर यही

नैय्या पार लगता है।

ये अपने लोगो से

ज्यादा मिलता है,

जिस पर भी तुम्हे भरोसा हो,

वही दुनिया का असली

चेहरा दिखाता है।

इसी की वजह से कोई-कोई

आसमां को छू लेता है,

तो कोई सदमे मे

डूब जाता है।

समझ लो तुम बस

इतना ही ये,

आईना दिखाता है।

झूठ सच के तराजू मे,

खूब आजमाता है,

अपना लो गर इसे तुम,

तो ये संकटों मे भी,

सहज मार्ग बनाता है।

नतमस्तक हूँ मै,

क्योंकि यही सबक,

जीवन को अनमोल

बना देता है ।

- जया भराडे बडोदकर

नवी मुंबई, महाराष्ट्र