कला - जया भराड़े बड़ोदकर

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जीवन में सभी के साथ,

एक जैसा कभी नहीं होता,

फिर भी वही एक है,

जो हर वक्त नया,

कुछ सिखाने की,

कोशिश करता है,

पर हम उसके,

इशारों को कभी भी

समझ नही पाते,

और निरंतर उससे,

शिकायत करते है,

जिसने पहले से ही,

हमारे लिए एक माँ,

की तरह हर प्लान,

करके रखा होता है,

आज सभी कुछ जो,

समय के साथ,

गुजरा है और अब जो

गुजरने वाला है,

वही सही था और वही सही होगा

विश्वास है और यही,

जीवन की असली,

जीने की कला है,

पैड पौधों ने कहाँ,

कुछ कभी किसी का विरोध किया है,

वो बस मौन रह कर,

सब कुछ सह कर,

हमेशा ही दान दिया है

सूरज चंदा तारे भी,

उसी की काठ पुतली है,

एक रब ही जो,

सभी में समाया है,

न तो कोई विरोध,

करता है नाही,

कभी मौन तोड़ता है,

यही एक राज जीवन,

में जीने की कला,

को साबित करता है,

- जया भराडे बडोदकर

नवी मुंबई, महाराष्ट्र