इंसाफ = राजीव डोगरा 'विमल'
May 16, 2021, 22:57 IST
| काल कहीं दूर नहीं है
आसपास ही घूम रहा है,
देख रहा है
सबकी भावनाओं को,
परख रहा है ,
डगमगाती आस्थाओं को,
देख रहा है,
मानव से दानव बने
इंसान की चलाकियों को।
काल झांक रहा है।
खिड़कियों से दरवाजों से
उसी तरह,
जिस तरह तुम झांकते हो,
दूसरों की बहू बेटियों को।
बस फर्क इतना है,
काल झांक रहा है
तुम्हारे किए गए गुनाहों को।
और तुम आज भी छिपा रहें हो
अपनी गंदी निगाहों को।
= राजीव डोगरा 'विमल', ठाकुरद्वारा
कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश