उम्मीद - सुमी लोहानी

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विगत मे क्या था,

आँसुओं में डूबे,

दिल में चुभते,

दर्द भरे तीखे तीर के सिवा।

फिर भी क्यों मन,

उसी के पीछे,

तृषित मृग की भाँति ,

दौड्ता /भागता रहता है

आज क्या है ?

अस्थिर क्षण के सिवा,

फिर भी क्यों ?

जीवन इसी बिन्दु पर,

स्थिर, थमा हुआ सा लगता है

आने वाले कल में क्या होगा,

शायद हारे या जीते जुआ सा होगा।

फिर भी जाने क्यों ?

सुख और खुशियों की बाजी,

अपने ही हाथ लगने की,

उम्मीद मन में जगती है

- सुमी लोहानी, काठमांडू , नेपाल