"सम्मान-समारोह" - मनोज माथुर

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एक दिन "लिखने" का शौक पत्नी जी का,

उभर के सामने  आ गया,

मशहूरियत का जुनून उनके,

दिल-ओ-दिमाग पे छा गया।

जब थामी उन्होंने कलम तो,

वाह ! क्या कमाल  हो गया,

लोगों को उनका कलाम इतना भा गया,

कि  वो "सलेब्रिटी " हो गईं।

और हमारा नाम "हस्बैंड ऑफ सलेब्रिटी " की,

लिस्ट में शामिल हो गया।।

फिर वो शुभ दिन भी आ गया,

जब पत्नी जी को समारोह में,

"सम्मानित" करने का बुलावा आ गया।

उनके सामान के साथ हमारा भी,

कुछ सामान बैग में आ गया।

वहां पहुँचे तो ससम्मान उनको स्टेज पे,

और हम को नीचे पहली पंक्ति में बिठाया गया।

उनको कॉफ़ी, काजू,और बादाम ऑफर हुए,

और हमे एक प्याली चाय और दो बिस्कुट में टाल दिया गया।।

"दो शब्द" कहने के बाद.....

पत्नी जी को फूल-मालाओं, ट्रॉफी, सम्मान-पत्र,

और पुरुस्कारों से नवाजा गया,

और धीरे-धीरे एक-एक करके सारा सामान,

हमारे हाथों में थमा दिया गया।।

जब हम साथ चले तो कैमरों के फ़्लैश चमक उठे,

फ़ोटो और सेल्फी के लिए लोग मचल उठे।

पत्नी जी के इर्द-गिर्द सुरक्षा घेरा बना दिया गया,

और हमारी मौजूदगी को जैसे नकार दिया गया।

खैर....खत्म हुई मारा-मारी,

सामने आ गई हमारी गाड़ी,

गाड़ी में बैठे और फुर्ररर हो गए,

लौट के आखिर इस तरह हम अपने घर आ गए।।

घर आ के अपनी मौजूदगी महसूस की हमने,

पत्नी जी के हाथ से पानी का गिलास ले कर,

राहत सी महसूस की हमने। 

इस प्रकार हमने भी अटेंड कर लिया,

"समारोह-ए-सम्मान" ,

इन  "सलेब्रिटीज़" को हमारा सादर प्रणाम।।   

   - मनोज माथुर , देहरादून