हो सबका उत्कर्ष - आरती अशेष
आयी है दीपावली देने यह सन्देश।
अन्धकार सा दूर हो अन्तस् का सब द्वेष।।
देहरी - देहरी खिल रहे रंगोली के रंग।
द्वारों पर तोरण सजे शुभ स्वस्तिक के संग।।
माटी के इक दीप ने सिखलाई यह रीत।
सदा उजाले की हुई अन्धेरे पर जीत।।
नए रँग दीवार पर स्वच्छ किया घर द्वार।
काश हृदय का कोष्ठ भी लेते सभी बुहार।।
गाँव, नगर, घर, देहरी, आँगन, मन्दिर, घाट।
जगमग पथ साकेत के तकें राम की बाट।।
आज धरा भी दे रही अम्बर सा आभास।
ज्योति पर्व पर छा रहा दिशा- दिशा उल्लास।।
स्वागत में श्रीराम के चहुँ दिसि मङ्गल गान।
यदि चरित्र हो राम सा, हो मानव कल्याण।।
त्याग दिए वैभव सभी, त्याग दिया सर्वस्व।
सिखलाया श्री राम ने प्रथम सदा कर्त्तव्य।।
मिटें कलुषताएँ सभी मिटें रोग- दुःख - शोक।
सुख, समृद्धि, सद्भाव का घर-घर हो आलोक।।
रिद्धि-सिद्धि, शुभ-लाभ संग मंगलमूर्ति गणेश।
माँ लक्ष्मी को साथ ले गृह में करें प्रवेश।।
दीपोत्सव के पर्व पर जन - जन में हो हर्ष।
मङ्गलमय शुभकामना हो सबका उत्कर्ष।।
- आरती अशेष चिटकारिया, देहरादून, उत्तराखंड