हिंदी ग़ज़ल - जसवीर सिंह हलधर
Jan 14, 2022, 23:53 IST
| धूल का तूफां नदी के पार है क्या।
वो अँधेरा रोशनी का यार है क्या ।
जुगनुओं ने सूर्य का रथ रोक डाला ,
पाक से इसका जुड़ा कुछ तार है क्या ।
कल उड़ा पंजाब में वो पाग किसका ,
बाग की आबोहवा में खार है क्या ।
ये चुनावी सुर्खियां हैं या हकीकत ,
कथ्य में उसके मिला कुछ भार है क्या ।
लग रही है दूधिया पूनम विषैली ,
चाँद तारों में कोई बीमार है क्या ।
शीश दुश्मन का उड़ाने की वकालत ,
आपके घर में रखी तलवार है क्या ।
संघ का ढांचा गिराने पर तुला है ,
प्रांत का मुखिया कोई मक्कार है क्या ।
एक खंबे पर टिकी है राज सत्ता ,
चार "हलधर" कह रहा लाचार है क्या ।
-जसवीर सिंह हलधर, देहरादून