हिंदी ग़ज़ल - जसवीर सिंह हलधर

 | 
pic

धूल का तूफां नदी के पार है क्या।

वो अँधेरा रोशनी का यार है क्या ।

जुगनुओं ने सूर्य का रथ रोक डाला ,

पाक से इसका जुड़ा कुछ तार है क्या ।

कल उड़ा पंजाब में वो पाग किसका ,

बाग की आबोहवा में खार है क्या ।

ये चुनावी सुर्खियां हैं या हकीकत ,

कथ्य में उसके मिला कुछ भार है क्या ।

लग रही है दूधिया पूनम विषैली ,

चाँद तारों में कोई बीमार है क्या ।

शीश दुश्मन का उड़ाने की वकालत ,

आपके घर में रखी तलवार है क्या ।

संघ का ढांचा गिराने पर तुला है ,

प्रांत का मुखिया कोई मक्कार है क्या ।

एक खंबे पर टिकी है राज सत्ता ,

चार "हलधर" कह रहा लाचार है क्या ।

-जसवीर सिंह हलधर, देहरादून