हिंदी ग़ज़ल  = जसवीर सिंह हलधर

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आदमी का आजकल बस एक ही तो काम है।
झूँठ बोले रात दिन मिलता उसे आराम है ।

राज नेता देश में सारे यही तो कर रहे ,
पाक दामन हो रहा क्यों डील में बदनाम है ।

हैं सभी भाषा सुहानी सीख कर देखो मियां ,
एज दूजे को सदा देती रही पैगाम है।

कुछ सियासी लोग मिलकर कौम को भरमा रहे ,
बात उनकी सुन रहा क्यों देश का आवाम है ।

मंच से नारा गरीबी को मिटाना दे रहा ,
शाम को विस्की भरा उस शख्स के लव जाम है ।

वक्त इतना भी नहीं की खा सकें दो रोटियां ,
शांति मन में साधने में हुंडिया नाकाम है ।

रोग की गंभीरता को जो कभी माने नहीं ,
जिंदगी वीरान उनकी मौत ही अंजाम है ।

आप भी सोचो जरा जो बात "हलधर" ने कही ,
लोक हित हो जिंदगी हर रोज रंगी शाम है ।
= जसवीर सिंह हलधर, देहरादून