हिंदी ग़ज़ल = जसवीर सिंह हलधर 

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सब चिकित्सक मौत से जीवन बचाने में लगे हैं ।
और कुछ पुरुषार्थी लाशें जलाने में लगे हैं ।

लोभ लालच के गणित में आदमी यूँ घिर चुका है ,
कुछ कमीने इस समय भी लाभ पाने में लगे हैं ।

ऑक्सीजन की कमी, वितरण समस्या आ रही है ,
राजनेता आज भी मुद्दा भुनाने में लगे हैं ।

हर गली हर गांव में इस रोग से मातम मचा है ,
कवि हमारे शोक में कविता सुनाने में लगे हैं ।

मौत पर श्रद्धांजली लिखने में उँगली काँपती है ,
वीर सैनिक आज भी ढाढस बंधाने में लगे हैं ।

आपदा अवसर बनी है कुछ दवा व्यापारियों को ,
दाम औषधि के बढ़ाकर धन कमाने में लगे हैं ।

शर्म से सर झुक रहा है क्रोध आया लेखिनी को ,
शे'र "हलधर"आँसुओं में डूब जाने में लगे हैं ।
= जसवीर सिंह हलधर , देहरादून