दिल सोचता रहता है - विनोद निराश
Jan 14, 2022, 23:51 IST
| तुम्हारे जाने के बाद,
शुष्क काष्ठ जैसी देह,
विरक्त होता मन ,
जीवन पथ पर चलता अकेला तन ,
देखकर दिल सोचता रहता है।
कभी तुम्हारी सम्मोहिनी मुस्कान,
उरअंतस में नेह जगा जाती थी,
तुम्हारी मोहिनी सी बाते ,
मन को मोह लिया करती थी,
सोचकर दिल सोचता रहता है।
वो अबोले से नयन,
सब कुछ कह जाते है ,
रात के सन्नाटे सी ख़ामोशी ,
अनकहे शब्द कह जाती है।
सुनकर दिल सोचता रहता है।
आज स्वप्न में भी कतराते हो,
पल भर में अदृश्य हो जाते हो।
कभी नयनो की भाषा पढ़ लेते थे ,
आज तुम्हारी बेरुखी निराश मन को सताती है।
याद कर दिल सोचता रहता है।
- विनोद निराश , देहरादून