ग़ज़ल = विनोद निराश
Jun 28, 2021, 22:03 IST
| क्या बताये क्या ज़िंदगानी है ,
कभी किस्सा कभी कहानी है।
बूँद बूँद को तरसे कभी मन,
तो कभी अश्कों की रवानी है।
दिल है गमजदा तो क्या,
हसरत-ए-दिल शादमानी है।
ज़िंदगी बेरंग सी लगती है पर,
मिज़ाज़ अपना भी जाफरानी है।
उसने कई बार मायूस किया,
मगर कई बात मेरी मानी है।
उसकी सादादिली देख के ही ,
दिल-ए-निराश पे जवानी है।
= विनोद निराश , देहरादून