ग़ज़ल = पूजा अरोरा

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धीर सभी को धरना होगा,
हालातों से लड़ना होगा।

कहर अभी यह बरपा है,
संयम से काम करना होगा।

प्रकृति हैं अभी रौद्र रूप में,
तुमको शीतल होना होगा।

रिश्तों की गर परवाह तुम्हे हैं.
घर में ही तुमको रुकना होगा।

प्रकृति से ना हठ करो तुम,
तुमको मानव बनना होगा।

विकट काल हैं आज धरा पर,
दु:ख भी तुमको सहना होगा।

आज हैं जैसा कल ना होगा ऐसा.
हिम्मत धर तुमको आगे बढ़ना होगा।
= पूजा अरोरा,  हरिद्वार