गज़ल = किरण मिश्रा

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इश्क़ के नाम हो गयी हूँ ,

सुनहली शाम हो गयी हूँ !

चाँद तेरी इक झलक पा,

गुल से गुलफाम हो गयी हूँ !

तेरे तस्सवुर....में डूब कर,

छलकता ज़ाम हो गयी हूँ !

जीने की हर अदा तुझसे,

खुशियां तमाम हो गयी हूँ !

अहसासों ने ली अंगडाई ,

सुकूने-एहतराम हो गयी हूँ !

झुकाई इबादत में नज़रें,

कुबूले-सलाम हो गयी हूँ !!

रंग जीस्त तेरे रंग #किरन",

खुशबु--किमाम हो गयी हूँ !

= किरण मिश्रा #स्वयंसिद्धा , नोएडा