ग़ज़ल -  डा० नीलिमा मिश्रा

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हिन्दी भाषा विश्व में सम्मान पाएगी।

भारती का मान दुनिया में बढ़ाएगी ।।

शब्द की गंगा में जब गोता लगाएगी ।

लेखनी कविता कहानी गीत गाएगी ।।

सूर , मीरा , जायसी, रसखान वो बनकर ।

कृष्ण- राधा प्रेम की लीला रचाएगी ।।

संस्कृत की गोद में पलकर बढ़ी हिन्दी ।

छंद दोहा साखियाँ सबको सिखाएगी ।।

देश की रक्षा की ख़ातिर जान दी जिसने ।

उन शहीदों की अमर गाथा सुनाएगी ।।

वेद की वाणी गुरूवाणी के शब्दों को ।

भोर की पहली किरण के साथ गाएगी  ।।

राम के हर त्याग की हर इक निशानी को।

बन के रामायण अवध में गूँज जाएगी ।।

सभ्यता-संस्कृति समूचे विश्व की बातें ।

लिख नवल इतिहास दुनिया को पढ़ाएगी ।।

शारदे माँ लेखनी में प्राण तुम भर दो ।

नीलिमा हिंदी की गंगा में नहाएगी ।।

- डा० नीलिमा मिश्रा, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश