गीतिका (शक्ति छंद) - मधु शुक्ला

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जला दीप तम को घटाया गया,

बिना सूर्य के पथ दिखाया गया।

पढ़ाया सुता को पिता ने तभी,

सबल नारियों को बनाया गया।

नहीं सोचने से मिला लक्ष्य है,

मिला जब पसीना बहाया गया।

रहा छंद रस से सजा गीत यदि,

घरों में बिना साज गाया गया।

लकीरें मिटाकर चला जो मनुज,

मसीहा उसे ही बताया गया।

सही पीर जिसने दुखी दीन की,

नहीं नाम उसका भुलाया गया।

न सुख की कमी हो सकेगी कभी,

अगर प्रेम धन को कमाया गया।

 --- मधु शुक्ला, आकाश गंगा नगर,

      सतना, मध्यप्रदेश .