दोहा दशक - नीलिमा शर्मा

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लाल बहादुर युग पुरुष, जन्मा  भारत देश।

सच्चाई सद्भाव का , दिया सदा  संदेश ।।

दो अक्टूबर को हुए, मुंशी जी के लाल।

राम दुलारी मात श्री , देखत भईं निहाल ।।

पले-बढ़े संघर्ष में, मानी कभी न हार।

ललिता जीवन संगिनी, शक्ति रूप साकार।

संत सरीखा देश का, वो था पंथ प्रधान।

लाल बहादुर नाम है, जो भारत की शान ।।

लाल बहादुर ने किया, उन्नत माँ का भाल।

कर्मठता की वो रहे , सच्ची एक मिसाल ।।

रग-रग में नेकी बसी, मन में था ईमान।

लाल बहादुर का किया, सबने ही सम्मान।।

लाल बहादुर में रही , दूरदृष्टि भरपूर।

जिसके बल पर हो गए , दुश्मन चकनाचूर।।

लाठी के स्थान पे, पानी की बौछार ।

भीड़ नियंत्रण के लिए , बना दिया हथियार।

निर्णय लेने की बड़ी, क्षमता थी बलवान।

लाल बहादुर के लिए, मुश्किल थी आसान ।।

ताशकंद में जो हुआ, मन में है आघात।

दिव्य देह नश्वर हुई, दु:ख भी है संताप ।।

- डा० नीलिमा मिश्रा , प्रयागराज (उ०प्र०)