बाल गीत----डा0 अशोक ‘गुलशन’

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कौआ भाई, कौआ भाई, आओ याद तुम्हारी आई।

तुम भी काले, हम भी काले, दोनों ही हैं काले-काले।

हम-तुम जब-जब धूम मचाते , लगते हैं मतवाले।

इस दुनिया में सबसे सुन्दर, अच्छी सूरत हमने पायी। 1।

काॅव-काॅव की बोली लगती , सबको प्यारी-प्यारी।

तुम्हें देख कर खिल उठती है, घर-आँगन-फुलवारी।

बारिश आते ही तुम मुझको, पड़ते नहीं दिखाई। 2।

कोई कहता मामा तुमको, कोई कहता भैया,

तुम्हें देखते दौड़ लगाती, मेरे घर की गैया।

मुझको तो लगते हो जैसे, तुम हो मेरे भाई। 3।

फुदक-फुदक कर नाच दिखाती, जब तुमको गौरैया,

तब तुम उसके आगे-पीछे, करते ता- ता- थैया।

मुन्ने ने यदि देख लिया तो, होगी बहुत पिटाई। 4।

  • डा0 अशोक ‘गुलशन’, उत्तरी कानूनगोपुरा, बहराइच उ0प्र0