छंद - जसवीर सिंह हलधर
Jan 11, 2022, 23:37 IST
| जलती चिताओं को भी मानने लगे अलाव ,
आग में घी डालते हैं काम करें नीच का ।
साम्यवादी पत्रकार भाट रूपी कवि यार ,
कीट भांति लाभ लेते दिख रहे कीच का ।।
ढोंगी औ जिहादियों के बीच फसा देश आज ,
दंगा परिणाम हो न जाय इस खीच का ।
सरकार और संगठनों की ये जिम्मेदारी ,
मिल बैठ रास्ता निकालें नेक बीच का ।।
- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून