छंद - जसवीर सिंह हलधर

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जलती चिताओं को भी मानने लगे अलाव ,

आग में घी डालते हैं काम करें नीच का ।

साम्यवादी पत्रकार भाट रूपी कवि यार ,

कीट भांति लाभ लेते दिख रहे कीच का ।।

ढोंगी औ जिहादियों के बीच फसा देश आज ,

दंगा परिणाम हो न जाय इस खीच का ।

सरकार और संगठनों की ये जिम्मेदारी ,

मिल बैठ रास्ता निकालें नेक बीच का ।।

- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून