भोजपुरी गीत = अनिरुद्ध कुमार
मिलल ना संदेश कौनो, ना कोई पतिया।
केकरो से कहीं कैसे, दिलवा के बतिया।।
घर के मुंडेरा भोरे,
उचरेला कागा जोरे।
करेला करेजा धक धक,
सिहरेला पोरे पोरे।
खोल के किवाड़ी झांकी, हाय रे पिरितिया।
केकरो से कहीं कैसे, दिलवा के बतिया।।
नींद में चिहुंकी राते,
लागे केहू छुप झाँके।
केहू ना आगा पीछा,
घर मोहे लागे काटे।
केहुके पुकारी कैसे, इहो बा बिपतिया।
केकरो से कहीं कैसे, दिलवा के बतिया।।
साल भर से बाड़े शहर,
सोंचते बेधेला लहर।
लागे जंजाल जिंदगी,
ठीक रहित,रहती नैहर।
करी का बताये कोई, फिर गईल मतिया।
केकरो के कहीं कैसे, दिलवा के बतिया।।
एतवार सोमार करी
भोलाजी के जल ढ़ारी,
मति उनकर फेरीं माई
हाँथ जोड़ गोहार करी।
जिंदगी खुशहाल होखे, देखती सुरतिया।
केकरो के कहीं कैसे, दिलवा के बतिया।।
= अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड।