बापू अब तुम जाओ - निहारिका झा

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सत्य धर्म का पाठ पढ़ाया,
जीवन जीना था सिखलाया।
चरखे के दम पर तुमने, 
देश को आत्मनिर्भर बनाया।
सत्याग्रह के पथ पर चलकर,
देश को था आजाद कराया।
मिली आजादी हम सबको 
हुए सभी बलवान।
अपनी ताकत से हमने 
फिर पाया एक मुक़ाम।
मिली सफलता ज्यों ही हमको
पहुंचे हम आसमान।
भूल गए सब सीख तुम्हारी
रिश्वतखोरी, काले धंधे , 
भ्र्ष्टाचार ने जाल बिछाया।
जाल बहुत रंगीं था,
कोई नहीं था बचने पाया।
आज बने ऐसे हालात, 
जन साधारण है लाचार,
पूंजी पति हुए बने रईस,
जन बेचारा बना गरीब,
रोजी रोटी के लाले हैं,
महंगाई से सब हैं पस्त,
क्या ऐसे भारत का बापू ,
तुमने देखा सपना था?
आ जाओ बापू अब फिर से,
चरखा वही चला दो तुम,
अपनी उन्हीं सीखों से, 
 जन जागृति फैला दो।
तब ही सही अर्थों में, 
भारत आजाद कहलाएग।
हाँ बापू तब तुम्हारा वह
स्वप्न साकार हो जाएगा।
आ जाओ......।
- निहारिका झा, खैरागढ राज (36 गढ़)