आँचल खुशियों का = अनिरुद्ध कुमार

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कैसे भूलें वह आँचल, खुशियों का संसार।

तृप्त लगे जीवन सारा, कितना प्यार दुलार।।

ख्यालों में सुंदर सपने, आँचल का ओहार।

सीतलता मन को मोहे, इसके रंग हजार।।

आँखें जब अश्रु बरसाये, सावन भादो धार।

अश्रु पोंछें, पुचकारे मुख, आँचल दे उपहार।।

चढ़ी जवानी दीवानी, आँचल करे पुकार।

लोटपोट के लहराये, स्वागत में यह ठार।।

धूप छांव में साथ खड़ी, कभी नहीं लाचार।

अड़ी, लड़ी साथी बनके, सुंदरतम व्यवहार।।

जीवन नौका पार लगे, आँचल में सतकार।

आन, शान, सम्मान बनी, कभी न मानी हार।।

आँचल जीवन का दर्पण, अरपन में सुख सार।

मानव इसके छांव चले, खुशियों का अंबार।।

=  अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड