तुम दीप बन जाओ = कालिका प्रसाद
May 18, 2021, 22:59 IST
दीप बन कर स्वयं प्रकाश दो,
तुम उजाला का दान दे दो,
एक दीपक ही अकेला,
घोर तम को दूर करता।
यदि सकल्प शक्ति तुम में है,
मुश्किलों का मुकाबला खुद करो,
नेह के नित तेल से,
जिन्दगी का दीप तुम जलाते रहो।
प्रेम जीवन का अमृत है,
सभी से प्रेम अपना बांटते रहो,
प्रेम का व्यवहार ही तो है,
जो दूरियों को दिलों से दूर करता है।
मानव को हमेशा प्रेम बरसाना है,
दया और शील से भरपूर होना चाहिये,
दूसरों के दु:ख में साथ रहना चाहिये,
वहीं महा मानव कहा जाता है।
परहित ही सबसे बड़ा धर्म है
श्रेष्ठ मानव का यही परम कर्तव्य है,
हमको सदा सद् मार्ग पर चलना है,
औरों के लिये भी उजाला बन सकते ।
= कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड