श्री राम कथा (12 वीं समिधा) - जसवीर सिंह हलधर
हंस वाहिनी माँ की जय जय ।
कमल आसिनी माँ की जय जय ।।
राम कथा लिखने का निश्चय ।
करो लेखिनी मेरी निर्भय ।।1
माता का अपहरण किया है ।
रावण कटु आचरण किया है ।।
चीख पुकार सुनी सीता की ।
नारायण के मन प्रीता की ।।2
देखा उड़ता उड़न खटोला ।
गरुड़ राज ने धावा बोला ।।
गरुड़ राज रक्षा में आये ।
पंखों से करतब दिखलाये ।।3
पौरुष देख पक्षी का रावण ।
कांप रहा था थर थर द्रावण।।
युद्ध हुआ दोनो में भीषण ।
वीर जटायू दिया परीक्षण ।।4
रावण ने तलवार उठाई ।
गरुड़ जटायू ओर घुमाई ।।
कई वार पंखों पर झेला ।
चौंच मार रावण को पेला ।।5
राम कुटी जब वापिस आये ।
सीता नहीं देख घबराये ।।
खोज रहे कह सीता सीता ।
लक्ष्मण तुमने किया फजीता ।।6
प्रश्न अनुज पर सीधे दागे ।
छोड़ कुटी को क्यों तुम भागे ।।
बोले लक्ष्मण सुन लो भ्राता ।
यह आदेश दिया खुद माता ।।7
दंडकारण्य समूचा छाना ।
सीता जी का नहीं ठिकाना ।।
पूछा वृक्ष लताओं से भी ।
उड़ती व्योम घटाओं से भी ।।8
भगवन आगे कदम बढ़ाया ।
घायल पड़ा जटायू पाया ।।
बोला गरुण सुनो नारायण ।
माता का हो गया अपहरण ।।9
उड़न खटोले वाला ब्राह्मण ।
मुझको वो लगता था रावण ।।
घटना समझ गये रघुराई ।
लंकेश्वर ने सिया चुराई ।।10
- जसवीर सिंह हलधर,देहरादून