संस्कार - मधु शुक्ला

 

आधार जिंदगी का संस्कार हैं हमारे,

जीवन चले हमारा संस्कार के सहारे।

व्यवहार का सलीका संस्कार ही बतायें,

सेवा सहायता के पौधे यही लगायें।

मात पिता बड़ों का आदर हमें सिखायें,

परिवार की अहमियत संस्कार मन जगायें।

संस्कार आदमी को इंसानियत सिखाते,

करुणा क्षमा दया का यह पाठ भी पढ़ाते।

संस्कार जो सहेजे मानव वही सफल हो,

संस्कार की वजह से धीरज लगन सबल हो।

- मधु शुक्ला, आकाश गंगा नगर. सतना , मध्यप्रदेश